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Inverter इन्वर्टर क्या है hindi me

 


इन्वर्टर क्या है इन्वर्टर ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जिसे डीसी सप्लाई देकर उसे ac सप्लाई प्राप्त की जा सके,इन्वर्टर कहलाता है ।दूसरे शब्दों में कहें तो डीसी dc सप्लाई को एसी ac सप्लाई में बदलने वाला उपकरण ही इन्वर्टर कहलाता है।

जिन स्थानों में या जिस समय एसी सप्लाई ना मिल रही हो तो उन स्थानों में बैटरी से प्राप्त डीसी वोल्टेज को इनवर्टर सर्किट के द्वारा 220 वोल्ट एसी में बदल दिया जाता है इस प्रकार हम देखते हैं कि आपात स्थिति में इन्वर्टर के द्वारा ac वोल्टेज प्राप्त किए जा सकते हैं।
इन्वर्टर का कार्य सिद्धांत
किसी भी इन्वर्टर का मुख्य भाग इन्वर्टर ट्रांसफार्मर तथा बैटरी होता है ।साधारण पावर ट्रांसफार्मर में उसकी प्राइमरी वाइंडिंग पर एसी मेंस वोल्टेज देने से उसकी सेकेंडरी पर एसी वोल्टेज डाउन हो कर प्राप्त होते हैं।
ठीक इसी प्रकार यदि हम इनवर्टर ट्रांसफॉर्मर की प्राइमरी वाइंडिंग को सेंटर टेपिंग पर बैटरी के पॉजिटिव वोल्ट दे दें तथा प्राइमरी बैटिंग के दोनों सिरों और बैटरी के नेगेटिव के बीच एक स्विच लगाकर ट्रांसफार्मर थोड़े थोड़े समयांतराल में डीसी वोल्टेज देते हैं, तो ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग में परिवर्तन शील डीसी करंट प्रवाहित होने लगता है जिसके परिणाम स्वरुप इन्वर्टर ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी में 230 वोल्ट एसी उत्पन्न होती है, जिससे अब हम अपने इलेक्ट्रानिक उपकरण चला सकते हैं।
यही इन्वर्टर का आधारभूत कार्य सिद्धांत है ।
क्योंकि हमें ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग को बारी-बारी एक निश्चित समय अंतराल पर डीसी वोल्टेज देना होता है तो इस कार्य के लिए मैनुअल स्विचों से यह कार्य करना कठिन होता है कार्य के लिए ट्रांजिस्टर और मॉसफेट का प्रयोग किया जाता है।
इस तरह हम कह सकते हैं कि इन्वर्टर एक ऐसा उपकरण है जो एसी मेंस सप्लाई की उपस्थिति में तो एसी सप्लाई को अपने आउटपुट सॉकेट पर बाईपास कर देता है तथा साथ ही साथ बैटरी को भी चार्ज करता है ।लेकिन ऐसी मेन सप्लाई की अनुपस्थिति में बैटरी से डीसी वोल्टेज लेकर उसे एसी सप्लाई में बदलकर उसे अपने आउटपुट सॉकेट पर प्रदान करता है।
किसी भी इन्वर्टर में सबसे महत्वपूर्ण कंपोनेंट इन्वर्टर ट्रांसफार्मर होता है साधारण पावर ट्रांसफार्मर और इन्वर्टर ट्रांसफार्मर में अंतर केवल इतना होता है कि साधारण पावर ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग पतले तार की तथा सेकेंडरी मोटे तार की बनाई जाती है ।
इन्वर्टर में एक दूसरी बात यह होती है कि इसकी प्राइमरी वाइंडिंग पर एक सेंटर टेप भी होती है।
किसी भी इन्वर्टर का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण भाग बैटरी होता है बैटरी की क्षमता पर निर्भर करता है कि इन्वर्टर कितने वाट का कितने समय तक प्रदान करेगा इन्वर्टर में प्रयुक्त होने वाले मुख्य कंपोनेंट किसी को अपने सभी फंक्शनओं को ठीक ढंग से पूर्ण करने के लिए बहुत सारे कंपोनेंट्स की आवश्यकता होती है ।
इन्वर्टर की सर्किट में लगने वाले मुख्य कंपोनेंट्स निम्नलिखित हैं
नंबर 1 ट्रांजिस्टर
नंबर 2 रिले
नंबर 3 ट्रांसफार्मर
नंबर 4 बैटरी
नंबर 5 मॉसफेट
नंबर 6 आईसी
वैसे तो किसी भी इन्वर्टर की सर्किट में बहुत सारे कंपोनेंट लगे होते हैं उपरोक्त बताए गए कपोनेंट्स महत्वपूर्ण कंपोनेंट है। बिना किसी भी इनवर्टर सर्किट की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।
आइए संक्षेप में देखते हैं के मुख्य कंपोनेंट किसी इन्वर्टर में क्या क्या कार्य करते हैं?
ट्रांजिस्टर सर्किट में प्रयुक्त होने वाले ट्रांजिस्टर का उपयोग और ओसिलशन उत्पन्न करने में, विभिन्न सिगनलों को एम्प्लीफाई करने में तथा विभिन्न सरकटों को और ऑफ करने में स्विच की तरह किया जाता है ।
रिले
एक प्रकार का इलेक्ट्रोमैग्नेट स्विच है। इलेक्ट्रोमैग्नेट स्विच अर्थात रिले का कार्य इसकी कॉइल में बहने वाले करंट पर निर्भर करता है ।
इन्वर्टर की सर्कट रिले कार्य का इनवर्टर की सर्किट में सर्वे का कार्य हाई वोल्टेज सर्किट को जोड़ना जा कट करना होता है इनवर्टर सर्किट में लगा ले ऐसी मैन सप्लाई की उपस्थिति में एसी सप्लाई को इनवर्टर की सर्किट में पहुंचने से रोक देता है तथा ac सप्लाई को सीधा इन्वर्टर के और प्रशासक पर पहुंचा देता है । साथ ही साथ ऐसी मेन सप्लाई को बैटरी चार्जिंग सर्किट से जोड़कर बैटरी को चार्ज करते रहता है ऐसी मेन सप्लाई की अनुपस्थिति में बैटरी से प्राप्त वोल्टे को इन्वर्टर की सर्किट तक पहुंचाकर उससे प्राप्त ac सप्लाई को इन्वर्टर की आउटपुट तक पहुंचाता है ।
इनवर्टर ट्रांसफॉर्मर
इन्वर्टर ट्रांसफर किसी भी इन्वर्टर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग होता है यह ट्रांसफार्मर की एसी मेंस की स्थिति में 230 वोल्ट एसी सप्लाई प्रदान करता है ट्रांसफार्मर की प्राइमरी 12 -0 -12 की होती है तथा सेकेंडरी वाइंडिंग 230 वोल्ट की होती है ।
दूसरे शब्दों में कहें तो इनवर्टर ट्रांसफॉर्मर एक स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर होता है ।

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ऐसी मेन सप्लाई की स्थिति में ट्रांसफर किए जाते हैं इस प्रकार तथा प्राइमरी विशेष के माध्यम से बारी-बारी एक निश्चित अंतराल पर सप्लाई दी जाए तो ट्रांसफार्मर की प्राइमरी पर एक परिवर्तनशील करंट प्रवाहित होने लगता है इस प्रकार ट्रांसफार्मर की परिवर्तनशील के बहने से ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी 230 वोल्ट उत्पन्न होती है

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